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Below are some fascinating insights about Jagannath Rath Yatra 2025—especially the special names of the ropes used to pull the chariots and other unique traditions:
📅 तारीख और समय
मुख्य रथयात्रा 27 जून 2025 (शुक्रवार), आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होगी .
यह पर्व लगभग 12 दिनों का चलता है (13 जून से शुरू होकर 8–9 जुलाई तक) .
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तीनों रथ और रस्सियों के नाम
देवता रथ का नाम पहिए रस्सी का नाम
भगवान जगन्नाथ नंदीघोष 16 शंखाचूड़ा नाड़ी
भगवान बलभद्र तालध्वज 14 वासुकी
देवी सुभद्रा दर्पदलन 12 स्वर्णचूड़ा नाड़ी (अल्ट: पद्मध्वज)
इन पवित्र रस्सियों को छूना या खींचना बड़े भाग्य और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है – ये स्वर्णचूड़ा एवं बैसाखी रस्सियाँ प्रतिनिधित्व करती हैं .
तकनीकी और सांस्कृतिक तथ्य
रथ सफेद नीम के विशिष्ट पेड़ों की लकड़ी से हर साल नए बनाए जाते हैं—नंदीघोष 45 फ़ीट, तालध्वज 43 फ़ीट, दर्पदलन 42 फ़ीट ऊँचे होते हैं .
रथ यात्रा पर प्रयुक्त रस्सियों के नाम भगवान की दैवीय ऊर्जा के प्रतीक हैं .
प्रमुख पारंपरिक रस्में
छेरा पहरा (Chera Pahara) – इस अनूठी परंपरा में पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू से रथ मार्ग को साफ करते हैं, इस भाव से कि "भगवान के सामने सभी समान हैं" .
पाहंडी, रथप्रतिष्ठा, और ढोल–नगाड़ों के साथ भगवान का स्वागत करते और बाहुडा यात्रा जैसी कई धार्मिक विधियाँ चलती हैं, जिसमें भक्तगण रथों को हाथों से खींचते हैं, आरती करते हैं
क्यों खास है ये रस्सियाँ?
इन्हें छूना या खींचना आध्यात्मिक पुण्य और भगवान की कृपा का माध्यम माना जाता है—नाम मात्र रस्सियाँ नहीं, बल्कि देवत्व से जुड़ने का प्रतीक हैं .
इनमें किसी जाति या वर्ग का भेद नहीं होता—"जो श्रद्धा से पकड़ते वो भाग्य पाते" .
अन्य रोचक तथ्य
रथयात्रा 9 दिनों की अनुष्ठानिक यात्रा होती है, जिसमें पहला दिन रथयात्रा का, दूसरा दिन Hera Panchami, चौथा दिन बाहुडा यात्रा, पाँचवे दिन सुनाबेशा, और आखिरी में निलाद्रि बीजेย์ होती है .
यह पर्व न सिर्फ पुरी में बल्कि Ahmedabad, Ranchi, Prayagraj, और विश्व के कई हिस्सों में भी अयोजित होता है—जैसे ISKCON का आयोजन .
🔎 संक्षेप में:
27 जून 2025 को मुख्य रथयात्रा।
प्रत्येक रथ की विशिष्ट रस्सी है – शंखाचूड़ा, वासुकी, स्वर्णचूड़ा।
उन्हें छूना माना जाता है मोक्ष व आनंददायी।
साधारण रस्सी नहीं, बल्कि देवीय प्रतीक ऑफ़ श्रद्धा हैं।
छेरा पहरा, सुनाबेशा और निलाद्रि बीजेय जैसी अनूठी रस्में भी इस यात्रा में सम्मिलित हैं।
आस्था, समर्पण और पर्व की रंगत से भरी यह रथयात्रा हर साल अद्वितीय अनुभव लेकर आती है। अगर आप पुरी जा रहे हैं, तो इन रस्सियों को स्पर्श करना और इन अनुष्ठानों को देखना यादगार रहेगा।
Posted : Jun 27, 2025